19 साल बाद पुरानी पेंशन योजना पर बड़ा फैसला! जानें लागू होगी या नहीं OPS Scheme

OPS Scheme – सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना यानी OPS की बहाली की मांग उठ रही थी और अब सरकार ने इस पर विचार करने का फैसला किया है। यह खबर लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी हो सकती है क्योंकि इससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। लेकिन क्या सच में OPS दोबारा लागू होगी या यह सिर्फ चर्चाओं तक ही सीमित रहेगा? आइए इस मुद्दे को आसान भाषा में समझते हैं।

पुरानी पेंशन योजना का सफर

2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलता था। इसमें रिटायरमेंट के बाद एक तय राशि पेंशन के रूप में मिलती थी और यह जिंदगीभर चलती थी। लेकिन 1 अप्रैल 2004 को केंद्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया और नई पेंशन योजना यानी NPS लागू कर दी। इसके बाद ज्यादातर राज्यों ने भी OPS को हटा दिया और NPS को अपनाया।

नई पेंशन योजना में कर्मचारियों की सैलरी से एक तय राशि कटती है, जिसे सरकार के अंशदान के साथ एक फंड में निवेश किया जाता है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को इस फंड से पैसा मिलता है। हालांकि, सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि NPS में उन्हें वही सुरक्षा नहीं मिलती जो OPS में थी, इसलिए वे पुरानी पेंशन की वापसी चाहते हैं।

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कर्मचारी संगठन क्यों कर रहे हैं OPS की मांग

पिछले कुछ सालों में कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन की बहाली के लिए कई बार प्रदर्शन किए हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार चिट्ठियां लिखीं और OPS को फिर से लागू करने की मांग की। उनका कहना है कि कर्मचारियों को यह चुनने का अधिकार होना चाहिए कि वे OPS लेना चाहते हैं या NPS में ही रहना चाहते हैं।

तिवारी के अनुसार, सरकार ने 2009 तक कुछ शर्तों पर कर्मचारियों को पेंशन योजना चुनने का मौका दिया था। अब जब इतने सालों बाद भी इस मुद्दे को लेकर विवाद हो रहा है, तो सरकार को फिर से यह विकल्प देना चाहिए।

कुछ राज्यों ने OPS लागू की लेकिन दिक्कतें भी आईं

कर्मचारी संगठनों के दबाव के चलते कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू कर दिया है। हालांकि, इस फैसले के बाद कुछ तकनीकी समस्याएं भी सामने आईं।

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दरअसल, जिन कर्मचारियों का पैसा पहले ही NPS में जमा हो चुका था, उसे वापस पाना मुश्किल हो गया। सरकारों के सामने यह समस्या आई कि उस फंड को वापस कैसे लाया जाए और कर्मचारियों को OPS का लाभ कैसे दिया जाए। इस वजह से कुछ राज्यों में OPS लागू तो हो गई लेकिन इसका सही से क्रियान्वयन अब तक नहीं हो सका।

केंद्र सरकार ने बनाई कमेटी

पुरानी पेंशन योजना को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जो इस पर अध्ययन कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कर्मचारी संगठनों से मुलाकात के दौरान इस बारे में जानकारी दी थी।

सूत्रों के मुताबिक, यह समिति OPS को लेकर सकारात्मक नजरिया रखती है, जिससे कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। हालांकि, अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है और सरकार इस पर विचार कर रही है।

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नई पेंशन योजना की चुनौतियां

सरकार ने जब NPS को लागू किया था, तो इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों को शामिल किया गया था। अब अगर सरकार OPS को वापस लाती है, तो उसे यह तय करना होगा कि यह सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए होगा या सभी के लिए।

इसके अलावा, OPS लागू करने पर सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है। इस वजह से कुछ अर्थशास्त्री और सरकारी अधिकारी इसके खिलाफ भी हैं।

राजनीतिक असर भी हो सकता है

सरकारी कर्मचारियों की संख्या लाखों में है और उनके परिवार भी वोटिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि OPS का मुद्दा सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका राजनीतिक असर भी हो सकता है।

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अगर सरकार कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज करती है, तो इसका असर आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। कई राज्यों में विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही हैं और सरकार पर दबाव बना रही हैं।

पुरानी पेंशन योजना के फायदे

अगर पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू होती है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा।

  1. आर्थिक सुरक्षा – रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को तय पेंशन मिलेगी, जिससे वह आर्थिक रूप से सुरक्षित रहेगा।
  2. महंगाई से राहत – OPS में पेंशन महंगाई भत्ते (DA) के साथ बढ़ती रहती है, जिससे महंगाई का असर कम होता है।
  3. परिवार को लाभ – अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन मिलती रहती है।

क्या OPS फिर से लागू होगी?

पुरानी पेंशन योजना को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है। हालांकि, यह अभी तय नहीं है कि इसे दोबारा लागू किया जाएगा या नहीं। केंद्र सरकार की समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर कोई ठोस फैसला लिया जाएगा।

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अगर सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू नहीं करती, तो हो सकता है कि कर्मचारियों को कोई नया विकल्प दिया जाए, जिससे उन्हें अधिक वित्तीय सुरक्षा मिल सके। फिलहाल, सरकारी कर्मचारियों की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।

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