Salary Hike – केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग किसी त्योहार से कम नहीं होता। ये आयोग हर कुछ सालों में बनता है और इसका मकसद होता है कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में सुधार करना। अब बात हो रही है 8वें वेतन आयोग की, जिसका गठन सरकार ने 16 जनवरी 2025 को किया था। तब से ही लाखों कर्मचारियों की निगाहें इसकी सिफारिशों और लागू होने की तारीख पर टिकी हुई हैं।
जनवरी में हुआ ऐलान, लेकिन अभी भी इंतजार जारी
हालांकि सरकार ने जनवरी में इसकी घोषणा कर दी थी, लेकिन अभी तक कुछ भी ठोस सामने नहीं आया है। न तो आयोग का कामकाज शुरू हुआ है और न ही तय हुआ है कि ये किन मुद्दों पर काम करेगा। इसकी जो सबसे जरूरी चीज होती है यानी टर्म्स ऑफ रेफरेंस यानी कार्यक्षेत्र, वो अभी तय नहीं किया गया है। जब तक ये फाइनल नहीं होता, तब तक आयोग पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो सकता।
23 अप्रैल की बैठक पर टिकी निगाहें
अब जो अगला बड़ा कदम होने जा रहा है, वो है 23 अप्रैल 2025 को होने वाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक। ये बैठक नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी यानी एनसी-जेसीएम की तरफ से बुलाई गई है और इसमें 8वें वेतन आयोग से जुड़ी अहम बातें डिस्कस होने की उम्मीद है। अभी तक तो बैठक का एजेंडा जारी नहीं हुआ है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
फरवरी में हुई थी चर्चा
इससे पहले 10 फरवरी 2025 को भी एक बैठक हुई थी, जिसमें 8वें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस पर लंबी चर्चा हुई थी। इसमें रेलवे और डिफेंस जैसे अहम मंत्रालयों के कर्मचारियों की भी बातें सुनी गई थीं। इसे आयोग की दिशा में एक जरूरी कदम माना गया क्योंकि इसमें यह तय करने की कोशिश की गई थी कि आयोग किन मुद्दों पर काम करेगा।
न्यूनतम वेतन को लेकर बड़ी मांग
पिछली बैठक में एक और बड़ा मुद्दा सामने आया था। कर्मचारी संगठनों ने मांग रखी थी कि जब न्यूनतम वेतन तय किया जाए तो खर्चों का आकलन करते समय परिवार के तीन नहीं बल्कि पांच सदस्यों को आधार माना जाए। कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में तीन सदस्यों को आधार मानना ठीक नहीं है, क्योंकि एक सामान्य परिवार में आमतौर पर पांच लोग होते हैं। इससे वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है।
सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा की मांग
कर्मचारी पक्ष ने यह भी सुझाव दिया था कि 8वें वेतन आयोग के गठन से पहले एक स्पेशल बैठक होनी चाहिए, जिसमें सभी पेंडिंग मुद्दों पर चर्चा हो जाए। इससे आयोग पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा और वह अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम दे पाएगा। सरकार की ओर से भी इस सुझाव को सकारात्मक तरीके से लिया गया है।
कैसे बनेगा आयोग
फिलहाल आयोग के गठन की प्रक्रिया स्टैंडिंग कमेटी के स्तर पर चल रही है। टर्म्स ऑफ रेफरेंस जैसे ही फाइनल हो जाते हैं, उन्हें केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही आयोग आधिकारिक रूप से काम शुरू कर देगा। अब सबकी निगाहें 23 अप्रैल की बैठक पर हैं, जिससे तस्वीर कुछ हद तक साफ हो सकती है।
पेंशनर्स के लिए खुशखबरी
पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अहम ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अब 7वें वेतन आयोग से पहले और बाद में रिटायर हुए पेंशनर्स को एक समान पेंशन मिलेगी। यानी अगर कोई कर्मचारी 2016 से पहले रिटायर हुआ है, तो उसे भी वही पेंशन मिलेगी जो उसके बाद रिटायर होने वालों को मिल रही है। यह फैसला पुराने पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत है।
कर्मचारियों की उम्मीदें और निराशा दोनों
जहां एक तरफ कर्मचारी आयोग की घोषणा से खुश हैं, वहीं दूसरी ओर इसकी प्रक्रिया में हो रही देरी से कुछ निराशा भी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को इस मामले में तेजी दिखानी चाहिए ताकि आयोग की सिफारिशें जल्द लागू हो सकें। इससे कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार आएगा और महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी।
क्या हैं आयोग से उम्मीदें
कर्मचारी चाहते हैं कि आयोग वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी की सिफारिश करे जो मौजूदा महंगाई दर के हिसाब से हो। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि कामकाजी माहौल बेहतर बने और पेंशनर्स को भी फायदा मिले। यानी आयोग से लोगों को उम्मीदें काफी ज्यादा हैं।
आगे क्या हो सकता है
आने वाले दिनों में 8वें वेतन आयोग को लेकर चीजें ज्यादा साफ हो सकती हैं। अगर 23 अप्रैल की बैठक में सहमति बनती है, तो जल्द ही आयोग का गठन भी हो जाएगा। फिर वह अपनी सिफारिशें देगा और उसके बाद सरकार तय करेगी कि कब और कैसे इन्हें लागू किया जाए।
8वां वेतन आयोग लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए उम्मीद की एक बड़ी किरण है। सरकार इस दिशा में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है, लेकिन कर्मचारियों को भी थोड़ा धैर्य रखना होगा। उम्मीद है कि जो सिफारिशें आएंगी, वो उनके हित में ही होंगी।