Loan News – अगर आप होम लोन या कार लोन लेने की सोच रहे हैं या पहले से कोई लोन ले रखा है, तो ये खबर आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। ऐसा लग रहा है कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की तरफ से जल्द ही एक और बड़ी राहत मिलने वाली है। दरअसल, हर दो महीने में आरबीआई एमपीसी यानी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक करती है, जिसमें ब्याज दरों पर अहम फैसले लिए जाते हैं।
पिछली एमपीसी मीटिंग में आरबीआई ने रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बनाए रखा था, जिससे लोन लेने वालों को थोड़ी राहत जरूर मिली थी। अब फिर से एमपीसी मीटिंग होने वाली है और इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है।
क्या होता है रेपो रेट और इसका क्या मतलब है?
अब सबसे पहले बात करते हैं कि ये रेपो रेट आखिर है क्या। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक बाकी बैंकों को शॉर्ट टर्म के लिए लोन देता है। जब रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों के लिए लोन महंगा हो जाता है, और वो ग्राहकों से भी ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। वहीं जब रेपो रेट घटता है तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है, और वो अपने कस्टमर्स को भी सस्ते लोन ऑफर करते हैं। यही वजह है कि रेपो रेट कम होने से आपकी EMI में भी कटौती हो सकती है।
कब हो सकती है अगली मीटिंग?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 7 से 9 अप्रैल के बीच अगली एमपीसी मीटिंग हो सकती है। पिछली बैठक फरवरी में हुई थी और उसमें भी ब्याज दरों में राहत दी गई थी। उसके बाद कई बैंकों ने अपने होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ब्याज दरें घटा दी थीं।
इस बार भी संभावना है कि रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा 6.25 फीसदी की दर घटकर 6 प्रतिशत पर आ जाएगी। इससे उन लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा जिन्होंने फ्लोटिंग रेट पर लोन ले रखा है।
रेपो रेट में कटौती क्यों की जाती है?
अब ये सवाल आता है कि आखिर आरबीआई रेपो रेट में कटौती क्यों करना चाहती है। दरअसल, जब देश में महंगाई कुछ हद तक कंट्रोल में आ जाती है और इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देना होता है, तब सरकार और आरबीआई मिलकर ब्याज दरों को कम करने का फैसला लेते हैं।
रेपो रेट में कटौती से लोगों की जेब पर लोड कम होता है। जब लोन सस्ता होता है तो लोग ज्यादा खर्च करते हैं, जिससे बाज़ार में पैसा घूमता है और इकॉनमी में ग्रोथ देखने को मिलती है। इसके साथ-साथ कारोबारियों को भी फायदा होता है और इससे रोजगार के मौके भी बढ़ते हैं।
किसको होगा सीधा फायदा?
अगर आप पहले से कोई होम लोन या पर्सनल लोन लिए हुए हैं और आपकी लोन स्कीम फ्लोटिंग रेट पर है, तो रेपो रेट घटते ही आपकी EMI में सीधी राहत मिलेगी। वहीं जो लोग नया लोन लेने की सोच रहे हैं, उन्हें भी कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है।
मान लीजिए अभी आपकी EMI दस हजार रुपये है, और रेपो रेट में कटौती होती है, तो आपकी EMI कुछ सौ रुपये कम हो सकती है। जितनी बड़ी रकम का लोन होगा, उतना ज्यादा फर्क भी दिखेगा।
रेपो रेट का इकोनॉमी पर असर
रेपो रेट सिर्फ बैंकों और ग्राहकों पर ही असर नहीं डालता, इसका सीधा असर देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर होता है। जब रेपो रेट घटता है तो:
- लोन सस्ते होते हैं
- लोग ज्यादा खर्च करते हैं
- कारोबारियों को विस्तार करने में आसानी होती है
- नए स्टार्टअप को भी सस्ती फंडिंग मिलती है
- नौकरियां बढ़ती हैं
- बाज़ार में पैसे का फ्लो बना रहता है
यानी देखा जाए तो एक छोटा सा बदलाव पूरे सिस्टम को गति दे सकता है।
क्या आपके लोन पर पड़ेगा असर?
ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कौन सी लोन स्कीम ली है। अगर आपका लोन फिक्स्ड रेट पर है, तो तुरंत कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो रेपो रेट घटते ही आपकी EMI कम हो जाएगी।
अगर आप नया लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यही सही समय है थोड़ा रुककर नई ब्याज दरों का इंतजार करने का। संभव है कि अप्रैल की मीटिंग के बाद बैंकों की तरफ से नए ऑफर और सस्ती स्कीम्स भी लॉन्च कर दी जाएं।