Indian Railway Tickets – अगर आप अपने बच्चों के साथ ट्रेन से सफर करने की सोच रहे हैं, तो आपके दिमाग में भी ये सवाल ज़रूर आता होगा कि बच्चे का टिकट लगेगा या नहीं। कई बार हम स्टेशन पर टिकट लेते वक्त कन्फ्यूज हो जाते हैं कि कितनी उम्र तक के बच्चों के लिए टिकट नहीं लगता और कितनी उम्र के बाद टिकट लेना ज़रूरी हो जाता है। चलिए आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं कि रेलवे ने इसको लेकर क्या गाइडलाइन तय की है।
रेलवे सफर क्यों है सबका फेवरेट
सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि भारत में ट्रेन से सफर करना लोगों को क्यों इतना पसंद है। एक तो यह सफर आरामदायक होता है, दूसरा, यह जेब पर भारी भी नहीं पड़ता। इसके अलावा, अब तो ऑनलाइन टिकट बुकिंग जैसी सुविधाएं भी हैं, जिससे घर बैठे बुकिंग हो जाती है। लेकिन जब बात आती है बच्चों के साथ ट्रैवल करने की, तो कुछ बातें जानना बहुत ज़रूरी है।
1 साल से 4 साल तक के बच्चों का टिकट नहीं लगता
अगर आपके साथ 1 से 4 साल की उम्र का बच्चा सफर कर रहा है, तो बढ़िया खबर है। रेलवे के नियम के मुताबिक, इस उम्र के बच्चों के लिए कोई टिकट नहीं लगता। न ही किसी तरह की बुकिंग की ज़रूरत होती है। मतलब आप बिना किसी एक्स्ट्रा खर्च के बच्चे को अपने साथ ले जा सकते हैं।
लेकिन एक बात ध्यान रखने वाली है कि इस उम्र के बच्चों के लिए अलग से कोई सीट या बर्थ नहीं मिलती। उन्हें अपनी मम्मी-पापा या गार्जियन के साथ ही बैठना या लेटना होगा। हालांकि, इतने छोटे बच्चे ज़्यादातर मम्मी की गोद में ही रहते हैं, तो ये कोई दिक्कत वाली बात नहीं होती।
5 साल से 12 साल के बच्चों के लिए हाफ टिकट का ऑप्शन
अब बात करते हैं 5 से 12 साल की उम्र वाले बच्चों की। इस कैटेगरी में रेलवे ने थोड़ा अलग नियम रखा है। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे को सीट ना मिले और वो आपके साथ ही बैठे, तो आप हाफ टिकट लेकर सफर कर सकते हैं। हाफ टिकट मतलब किराया आधा देना होगा, लेकिन बदले में बच्चे को कोई सीट या बर्थ नहीं दी जाएगी।
ये ऑप्शन उन लोगों के लिए ठीक रहता है जिनका सफर ज्यादा लंबा नहीं है या जिन्हें लगता है कि बच्चा मम्मी-पापा के साथ ही आराम से ट्रैवल कर सकता है।
अगर बच्चे के लिए सीट चाहिए तो देना होगा फुल टिकट
अब अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे को भी पूरी तरह से सीट मिले, यानी बर्थ बुक हो, तो इसके लिए आपको पूरे पैसे देने होंगे। मतलब हाफ टिकट नहीं, बल्कि फुल टिकट लेना पड़ेगा। इस नियम के पीछे की वजह ये है कि रेलवे सीट या बर्थ के हिसाब से किराया लेता है, चाहे यात्री बच्चा हो या बड़ा।
इसलिए अगर आप अपने बच्चे के लिए ट्रेवलिंग को आरामदायक बनाना चाहते हैं, खासतौर पर रात के सफर में, तो फुल टिकट लेकर उसके लिए सीट बुक करा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, 5 से 12 साल के बीच के बच्चों को ये सुविधा तभी मिलेगी जब आप उनका पूरा टिकट लेंगे।
ऑनलाइन बुकिंग में क्या ध्यान रखें
अगर आप ऑनलाइन टिकट बुक कर रहे हैं, तो वहां बच्चे की उम्र डालते वक्त सही जानकारी दें। सिस्टम खुद ही तय कर लेगा कि हाफ टिकट मिलेगा या फुल टिकट लेना पड़ेगा। इसके अलावा, अगर आप सीट चाहते हैं और बच्चे की उम्र 5 साल से ज्यादा है, तो ‘बर्थ रिक्वायर्ड’ का ऑप्शन चुनना न भूलें।
ट्रेन में बच्चों की सुरक्षा भी है ज़रूरी
रेलवे ने बच्चों की सुरक्षा के लिए भी कई कदम उठाए हैं। अगर आप बहुत छोटे बच्चे के साथ ट्रैवल कर रहे हैं, तो कोशिश करें कि लोअर बर्थ बुक करें ताकि चढ़ने-उतरने में परेशानी ना हो। इसके अलावा, बच्चे को टिकट और यात्रा से जुड़ी सभी बेसिक बातें समझा दें, ताकि वह भी सतर्क रहे।
कभी-कभी हम सोचते हैं कि बच्चे छोटे हैं, तो टिकट की झंझट में क्यों पड़ें। लेकिन सफर आरामदायक और परेशानी से मुक्त तभी होता है जब हम सही जानकारी के साथ चलते हैं। रेलवे ने जो भी नियम बनाए हैं, वो आपकी सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही बनाए हैं।