RBI New Rules – अगर आपके पास बैंक में सेविंग अकाउंट है और आप उसमें हर समय मिनिमम बैलेंस नहीं रखते तो ये खबर आपके लिए काफी जरूरी है।भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने मिनिमम बैलेंस से जुड़ी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है जो अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है।
अब तक होता ये था कि अगर आप बैंक खाते में तय की गई मिनिमम राशि नहीं रखते थे तो बैंक आप पर चार्ज लगाते थे लेकिन अब आरबीआई ने इस व्यवस्था में कुछ खास बदलाव किए हैं जिससे आम ग्राहकों को राहत मिलेगी।
क्या होता है मिनिमम बैलेंस और क्यों जरूरी है
हर बैंक अपने ग्राहकों से यह अपेक्षा करता है कि वे अपने सेविंग अकाउंट में एक न्यूनतम राशि हमेशा बनाए रखें।
यह राशि बैंक के अनुसार और लोकेशन के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है।
ग्रामीण क्षेत्र के बैंक में यह राशि 500 या 1000 रुपये हो सकती है जबकि शहरी या मेट्रो शहरों में यह 5000 रुपये तक भी हो सकती है।
अब तक क्या होता था अगर मिनिमम बैलेंस नहीं रखते थे
अगर कोई खाताधारक तय राशि से कम बैलेंस रखता था तो बैंक हर महीने उसके खाते से 50 रुपये से लेकर 600 रुपये तक पेनाल्टी काट लेते थे।
कई बार ये कटौती इतनी ज्यादा हो जाती थी कि खाते में रखा पैसा धीरे-धीरे खत्म हो जाता था।
नए नियम के अनुसार क्या बदलाव हुए हैं
आरबीआई ने अब बैंकों को निर्देश दिया है कि अगर कोई खाता दो साल से निष्क्रिय है यानी उसमें कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है और उसमें मिनिमम बैलेंस नहीं है, तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
इसका मतलब यह हुआ कि अब निष्क्रिय खातों पर किसी भी तरह का मिनिमम बैलेंस चार्ज नहीं लगाया जाएगा।
अगर बैंक फिर भी चार्ज काटे तो क्या करें
अगर आपका खाता निष्क्रिय है और फिर भी बैंक आपसे पेनाल्टी वसूलता है तो आप सबसे पहले अपने बैंक ब्रांच में संपर्क करें।
यदि वहां समाधान न मिले तो बैंक के नोडल अधिकारी या कस्टमर केयर से बात करें।
अगर वहां भी संतोषजनक जवाब न मिले तो आप आरबीआई के ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
डायरेक्ट बेनिफिट और स्कॉलरशिप खातों को लेकर बड़ी राहत
आरबीआई ने साफ कहा है कि स्कॉलरशिप, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) या सरकारी योजनाओं के लिए खुले खातों से कोई पेनाल्टी नहीं वसूली जाएगी।
चाहे इन खातों में दो साल से कोई लेनदेन न हुआ हो या उसमें बैलेंस जीरो हो, फिर भी बैंक इनसे कोई चार्ज नहीं काट सकेंगे।
सेविंग अकाउंट पर ब्याज मिलेगा भले ही निष्क्रिय हो
सेविंग अकाउंट में अगर कोई खाता निष्क्रिय भी हो गया है तो भी उस पर ब्याज मिलता रहेगा। मतलब अगर आप दो साल से उस खाते का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं लेकिन उसमें कुछ पैसे पड़े हैं, तो बैंक को उस पर ब्याज देना होगा।
क्यों उठाया गया ये कदम
आरबीआई का मकसद है बैंकों में पड़े लावारिस खातों और बिना दावे की जमा राशि को ट्रैक करना और उसे सही मालिक तक पहुंचाना।
नए नियम से बैंकों पर यह भी जिम्मेदारी आएगी कि वे खातों को ऐसे ही जीरो बैलेंस में न डालें और ग्राहकों को नुकसान न हो।
ग्राहकों को क्या फायदा होगा
इन बदलावों से लाखों खाताधारकों को फायदा होगा खासतौर पर गरीब, ग्रामीण, बुजुर्ग और स्टूडेंट वर्ग को।अब वे बिना किसी डर के अपना खाता चालू रख सकेंगे, भले ही उसमें पैसे कम हों या ट्रांजेक्शन न हो रहा हो। भारतीय रिजर्व बैंक के नए नियम ग्राहकों के हित में हैं और बैंकिंग सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाएंगे।अगर आपका भी कोई खाता निष्क्रिय है या सरकारी योजना से जुड़ा है तो अब आपको किसी चार्ज की चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस नियमों की जानकारी रखें और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में समय पर शिकायत जरूर करें।