Driving Licence : हरियाणा के एक ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर में लंबे समय से चल रहे दलाली और भ्रष्टाचार के खेल पर अब ब्रेक लग गया है। विजिलेंस विभाग की हालिया रेड के बाद RTO विभाग ने कमर कस ली है और सिस्टम को एकदम पारदर्शी बनाने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं।
अब सिर्फ असली आवेदकों को मिलेगी एंट्री
सबसे बड़ा फैसला ये है कि अब सेंटर के अंदर सिर्फ वही लोग जा सकेंगे जिन्होंने खुद ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया हो। कोई भी एजेंट, दलाल या बाहरी व्यक्ति अब सेंटर में एंटर नहीं कर सकेगा।
कई महीनों से शिकायतें आ रही थीं कि सेंटर के बाहर एजेंट्स खड़े रहते हैं और लोगों को ये कहकर फंसाते हैं कि वो लाइसेंस जल्दी बनवा देंगे या टेस्ट पास करवा देंगे – बस थोड़ा पैसा चाहिए। अब इस झांसे का भी गेम ओवर हो गया है।
एंट्री से पहले रजिस्टर में नाम जरूरी
अब सेंटर के बाहर एक कर्मचारी को तैनात किया गया है जो हर आने वाले आवेदक का नाम, मोबाइल नंबर और एप्लीकेशन नंबर रजिस्टर में नोट करता है। बिना इसके कोई अंदर नहीं जा सकता।
मोबाइल फोन पर भी लगी रोक
सिर्फ बाहरी लोगों पर ही नहीं, बल्कि स्टाफ पर भी सख्ती की गई है। ड्यूटी के दौरान कोई भी कर्मचारी अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। स्टाफ के फोन ड्यूटी टाइम में जमा करा लिए गए हैं ताकि कोई एजेंट से व्हाट्सएप या कॉल के जरिए संपर्क न बना सके।
अब एजेंटों की सेटिंग नहीं, परफॉर्मेंस से मिलेगा लाइसेंस
अब तक जो शिकायतें आती थीं – जैसे कि “अगर फलां एजेंट के जरिए जाओगे तो पास हो जाओगे” – वो अब बीती बात हो गई है।
अब पूरा सिस्टम डिजिटल और ट्रांसपेरेंट होगा। पास या फेल सिर्फ टेस्ट के परफॉर्मेंस पर तय होगा। न कोई सिफारिश चलेगी, न ही कोई सेटिंग।
लोग खुद करें ऑनलाइन आवेदन
RTO अब लोगों को यह भी समझा रहा है कि वो खुद अपना आवेदन करें, एजेंट्स के झांसे में न आएं।
ड्राइविंग लाइसेंस का आवेदन अब बहुत ही आसान और ऑनलाइन प्रक्रिया है। RTO की ऑफिशियल वेबसाइट या पोर्टल पर जाकर कोई भी खुद से आवेदन कर सकता है।
टेक्नोलॉजी से ट्रांसपेरेंसी
अब सेंटर में सब कुछ टेक्नोलॉजी से मॉनिटर होगा – सीसीटीवी से निगरानी, डिजिटल स्कोरिंग, लाइव मॉनिटरिंग और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से सिस्टम पूरी तरह पारदर्शी बन गया है। इससे ये पक्का हो जाएगा कि कोई भी उम्मीदवार पक्षपात या दलाली का शिकार न हो।