EPFO Minimum Pension Hike – देश के लाखों पेंशनर्स के लिए एक बड़ी उम्मीद की खबर सामने आ रही है। कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS 95 के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7500 रुपये करने की मांग फिर से जोरों पर है। अभी जो पेंशन मिल रही है, वो सिर्फ 1000 रुपये महीना है और सोचिए, इतने कम पैसों में कोई बुजुर्ग कैसे अपनी जिंदगी आराम से चला सकता है।
1000 रुपये में क्या होगा?
2014 से अब तक सिर्फ 1000 रुपये महीना पेंशन मिल रही है। इतने सालों में महंगाई दोगुनी हो गई है, लेकिन पेंशन वैसी की वैसी ही है। दवा से लेकर राशन और किराए तक सबका खर्च आसमान छू रहा है। खासकर बुजुर्गों के लिए, जिनकी आय का कोई और जरिया नहीं होता, उनके लिए ये पेंशन ही सहारा होती है। इसलिए अब देशभर के EPS पेंशनर्स और मजदूर संगठन मांग कर रहे हैं कि ये पेंशन कम से कम 7500 रुपये होनी चाहिए।
कई सालों से उठ रही है आवाज
2018 में संसद की एक स्थायी समिति ने भी कहा था कि पेंशन बढ़ाकर 7500 रुपये कर देनी चाहिए। फिर 2023 में श्रम मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर विचार शुरू किया। कुछ और सुझाव भी आए, जैसे पेंशन में महंगाई भत्ता भी जोड़ दिया जाए और EPS पेंशनर्स को फ्री मेडिकल सुविधा दी जाए। लेकिन अब तक सिर्फ बातें हुई हैं, जमीन पर कुछ भी नहीं बदला।
मई 2025 तक मिल सकती है राहत
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद पब्लिक का दबाव सरकार पर बढ़ा है और अगर सरकार ने सही फैसला लिया, तो मई 2025 से नए नियम लागू हो सकते हैं। बजट 2025 में इसकी घोषणा होने की भी संभावना जताई जा रही है। साथ ही EPS एक्ट में बदलाव की प्रक्रिया भी तेज हो सकती है।
पेंशनर्स की हालत क्या है आज
आज देश में करीब 67 लाख EPS पेंशनर हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो प्राइवेट कंपनियों में सालों तक काम करके रिटायर हुए हैं और अब सिर्फ इसी पेंशन पर निर्भर हैं। गोरखपुर के रहने वाले 68 साल के रामआसरे यादव इसका एक उदाहरण हैं। उन्होंने 25 साल एक फैक्ट्री में काम किया और अब सिर्फ 1000 रुपये पेंशन मिलती है। उनका कहना है कि अगर 7500 रुपये पेंशन मिलने लगे तो वे खुद अपनी दवाइयों और खाने का खर्च उठा सकेंगे और किसी पर बोझ नहीं बनेंगे।
किन्हें मिलेगा फायदा
अगर पेंशन 7500 रुपये हो जाती है तो EPS के तहत आने वाले सभी कर्मचारी और उनके परिवार इससे लाभान्वित होंगे। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बुजुर्ग, जो बेहद कम आमदनी में गुजारा कर रहे हैं, उन्हें इससे सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र से रिटायर लोग, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी और ग्रामीण मजदूर, सभी के लिए ये एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
क्या कह रहे हैं पेंशनर्स
कई परिवारों का कहना है कि जो पेंशन अभी मिल रही है, वो उनकी जरूरतों के लिए काफी नहीं है। एक रिटायर्ड कर्मचारी, जिनकी पेंशन 1500 रुपये है, बताते हैं कि सिर्फ दवाओं पर ही उन्हें हर महीने 2000 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। अब सोचिए, बाकी खर्च कहां से निकालेंगे। अगर 7500 रुपये मिलने लगे, तो उन्हें काफी राहत मिल सकती है।
सरकार क्या कर सकती है
अब वक्त आ गया है कि सरकार इस मामले में जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए। EPFO को और ज्यादा पारदर्शी बनाना होगा, ताकि हर पेंशनर अपनी पेंशन डिटेल्स पोर्टल पर देख सके। साथ ही पेंशन समय पर मिले, इसका भी पूरा ध्यान रखना जरूरी है।
7500 रुपये की न्यूनतम पेंशन की मांग सिर्फ जायज ही नहीं, बल्कि आज की जरूरत भी है। अगर सरकार इस पर अमल करती है, तो करोड़ों पेंशनर्स की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा। मई 2025 इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। जिन्होंने अपने जीवन के कई साल देश और समाज को दिए, उन्हें वृद्धावस्था में एक सम्मानजनक जीवन मिलना ही चाहिए।