Loan News – अगर आप लोन की ईएमआई भरते हैं या फिर नया लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए काफी राहत भरी हो सकती है। जल्द ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई एक और एमपीसी मीटिंग करने वाला है जिसमें यह तय किया जाएगा कि रेपो रेट घटेगा या नहीं। अगर ऐसा होता है तो आपकी जेब पर बोझ थोड़ा हल्का हो सकता है।
अब तक के ट्रेंड को देखें तो ऐसा लग रहा है कि आरबीआई ब्याज दरों में फिर से कटौती कर सकता है, जिससे लोन लेना सस्ता हो जाएगा और जो लोग पहले से लोन चुका रहे हैं, उनकी ईएमआई कम हो सकती है। चलिए जानते हैं पूरी कहानी, आसान भाषा में।
क्या है एमपीसी मीटिंग और इसमें क्या होता है फैसला
आरबीआई हर दो महीने में एक मीटिंग करता है जिसे एमपीसी यानी मौद्रिक नीति समिति की बैठक कहा जाता है। इस मीटिंग में देश की मौद्रिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह तय किया जाता है कि रेपो रेट बढ़ाना है, घटाना है या जस का तस रखना है।
फरवरी में जो मीटिंग हुई थी, उसमें आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी और इससे रेपो रेट घटकर 6.25 प्रतिशत पर आ गया था। इसके बाद कई बैंकों ने भी अपने लोन पर ब्याज दरें कम कर दी थीं।
अब खबर आ रही है कि अगली मीटिंग 7 से 9 अप्रैल के बीच हो सकती है और इसमें फिर से रेपो रेट घटाने पर बात हो सकती है।
इस बार कितनी हो सकती है कटौती
सूत्रों की मानें तो इस बार भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। यानी नया रेपो रेट 6 प्रतिशत हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो लोन लेना और भी सस्ता हो जाएगा और जिन लोगों के लोन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर हैं, उनकी ईएमआई भी अपने आप कम हो जाएगी।
रेपो रेट घटाने की वजह क्या है
अब सवाल ये उठता है कि आरबीआई आखिर बार-बार रेपो रेट में कटौती क्यों कर रहा है। असल में इसका एक बड़ा कारण है लोगों की परचेजिंग पावर बनाए रखना।
महंगाई भले थोड़ी-बहुत बढ़ रही हो, लेकिन सरकार चाहती है कि आम आदमी के पास इतना पैसा रहे कि वह खर्च कर सके। अगर खर्च बढ़ेगा, तो बाजार चलेगा, कंपनियों को मुनाफा होगा और नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे।
इसके अलावा, पिछली बार जब रेपो रेट घटाया गया था, तब खुदरा महंगाई में भी कमी देखी गई थी, जो एक पॉजिटिव संकेत है।
रेपो रेट आखिर है क्या और इसका लोन से क्या रिश्ता है
रेपो रेट को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से लोन की दुनिया चलती है। दरअसल, रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई देश के बैंकों को शॉर्ट टर्म लोन देता है।
मतलब जब किसी बैंक को पैसे की जरूरत होती है तो वह आरबीआई से लोन लेता है और उस लोन पर ब्याज लगता है, जिसे रेपो रेट कहते हैं।
अब अगर आरबीआई रेपो रेट घटा देता है तो बैंकों को भी लोन सस्ते में मिल जाता है। इसका असर ये होता है कि बैंक भी आम लोगों को लोन सस्ती ब्याज दरों पर देने लगते हैं।
तो जब रेपो रेट घटता है तो आपकी होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन जैसी ईएमआई भी कम हो सकती है।
कब बढ़ता है लोन और कब सस्ता होता है
अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों को भी महंगे दर पर पैसा लेना पड़ता है। इसका मतलब ये है कि वो अपने ग्राहकों को भी महंगे ब्याज पर लोन देंगे।
वहीं जब रेपो रेट घटता है तो बैंक को सस्ते में लोन मिलता है और वह ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर लोन देने लगते हैं। यही वजह है कि आम आदमी के लिए रेपो रेट में बदलाव बहुत मायने रखता है।
तो अगर आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं या पहले से लोन चुका रहे हैं, तो आरबीआई की अगली मीटिंग पर नजर बनाए रखें। अगर इस मीटिंग में फिर से रेपो रेट कम होता है तो आप फायदे में रहेंगे।
आपकी ईएमआई घट सकती है, लोन लेना आसान हो जाएगा और सबसे बड़ी बात यह कि आपके मासिक बजट पर थोड़ा कम दबाव पड़ेगा।
फिलहाल तो सभी की निगाहें 7 से 9 अप्रैल के बीच होने वाली एमपीसी मीटिंग पर टिकी हुई हैं। देखना होगा कि आरबीआई इस बार जनता को राहत देता है या नहीं।