RBI New Rules for EMI – अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो हर महीने की EMI भरने में कभी-कभी लेट हो जाते हैं, तो अब थोड़ा राहत की सांस ले सकते हैं। क्योंकि RBI ने एक ऐसा नया नियम लागू किया है, जो आपको डिफॉल्टर बनने से बचा सकता है। खासकर उन लोगों के लिए ये नियम काफी फायदेमंद है जो मजबूरी में समय पर EMI नहीं भर पाते और फिर उनका सिबिल स्कोर भी खराब हो जाता है।
अब RBI के इस नए नियम के चलते आप न सिर्फ डिफॉल्टर बनने से बच सकते हैं बल्कि अपने लोन की EMI भी अपनी सुविधा के हिसाब से मैनेज कर पाएंगे।
EMI भरने में देरी और उसकी टेंशन
कई बार ऐसा होता है कि लोग किसी अचानक आई परेशानी जैसे मेडिकल इमरजेंसी, जॉब लॉस या दूसरे कारणों से समय पर EMI नहीं भर पाते। बैंक ऐसे मामलों में देरी को डिफॉल्ट मान लेते हैं और आपका सिबिल स्कोर गिरने लगता है। इससे आगे चलकर लोन लेना बहुत मुश्किल हो जाता है।
अब RBI ने ऐसी ही परेशानियों से लोगों को राहत देने के लिए लोन रीस्ट्रक्चरिंग का ऑप्शन दिया है। यानी अगर आप अपनी EMI समय पर नहीं भर पा रहे हैं, तो आप बैंक से कह सकते हैं कि वो आपके लोन की शर्तें दोबारा तय करे।
क्या होता है सिबिल स्कोर
सिबिल स्कोर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री का एक नंबर होता है जो 300 से 900 के बीच होता है। इसे देखकर बैंक तय करते हैं कि आपको लोन देना है या नहीं। आमतौर पर 750 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है और इससे लोन आसानी से मिल जाता है।
अगर आप समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड का बिल भरते हैं तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा रहता है। लेकिन देरी होने पर ये स्कोर गिरता है और आगे लोन मिलना मुश्किल हो जाता है।
RBI का नया नियम क्या है
अब RBI ने बैंकों को साफ कहा है कि जिन लोगों को EMI भरने में दिक्कत हो रही है, उन्हें लोन रीस्ट्रक्चर का विकल्प दिया जाए। यानी आप अपने लोन की शर्तों में बदलाव करवा सकते हैं।
मान लीजिए कि आपकी EMI अभी 50 हजार रुपये है और आपको इसे भरना मुश्किल हो रहा है, तो आप बैंक से रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि EMI कम कर दी जाए और लोन की अवधि बढ़ा दी जाए। इस तरीके से EMI घटाकर 25 हजार रुपये तक की जा सकती है।
क्या होगा फायदा
लोन रीस्ट्रक्चरिंग कराने से आपको EMI भरने का दबाव कम हो जाएगा। साथ ही, अगर आप समय पर कम EMI भरते रहेंगे, तो आपका सिबिल स्कोर भी खराब नहीं होगा। इससे आपको भविष्य में लोन लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
सबसे अच्छी बात ये है कि आप डिफॉल्टर भी नहीं कहलाएंगे। बैंक इसे आपके लोन की री-एग्रीमेंट मानते हैं, न कि डिफॉल्ट। यानी आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर कोई खराब असर नहीं पड़ेगा।
सिबिल स्कोर कैसे बचाए रखें
- समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल चुकाएं
- बैंक से अपनी लोन डिटेल्स को समय-समय पर चेक करते रहें
- अगर दिक्कत है तो तुरंत बैंक से बात करें, लोन रीस्ट्रक्चर की रिक्वेस्ट डालें
- एक साथ कई लोन न लें, जरूरत के हिसाब से ही फाइनेंस मैनेज करें
किन बातों का ध्यान रखें
भले ही RBI ने ये राहत दी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप बेफिक्र होकर EMI मिस करते रहें। लोन रीस्ट्रक्चरिंग एक बार की सुविधा है और बैंक इसे तभी मंजूर करता है जब आपकी परेशानी वाजिब हो।
इसलिए अगर आपको लगता है कि आगे भी EMI भरने में दिक्कत हो सकती है तो समय रहते बैंक से बात करें। देरी करने पर आपके पास ये विकल्प भी नहीं बचेगा।
RBI का ये नया नियम उन लाखों लोगों के लिए राहत की खबर है जो टाइम पर EMI नहीं भर पाते और डिफॉल्टर की कैटेगरी में आ जाते हैं। अब आप लोन रीस्ट्रक्चरिंग कराकर न सिर्फ EMI को कम कर सकते हैं बल्कि अपने सिबिल स्कोर को भी खराब होने से बचा सकते हैं।
तो अगर आपको भी EMI का बोझ परेशान कर रहा है, तो तुरंत अपने बैंक से बात करें और इस विकल्प का फायदा उठाएं।