Toll Tax New Rules : अगर आप भी हाईवे पर सफर करते समय हर थोड़ी दूरी पर टोल प्लाज़ा देखकर परेशान हो जाते हैं, तो अब राहत की सांस लीजिए।
सरकार ने टोल टैक्स को लेकर एक नया नियम लागू किया है, जो सीधे आपकी जेब पर असर डालेगा – और इस बार पॉजिटिव असर।
अब टोल टैक्स “प्रति किलोमीटर” के हिसाब से वसूला जाएगा। यानी जितनी दूरी आप तय करेंगे, उतना ही टोल देंगे – न ज्यादा, न कम।
टोल टैक्स का नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
सरकार अब GPS आधारित टोल सिस्टम लागू कर रही है। इसमें आपके वाहन की लोकेशन ट्रैक होगी और तय दूरी के हिसाब से FASTag से पैसे कटेंगे। अब आपको टोल प्लाज़ा पर रुकने या लंबी कतार में खड़े होने की ज़रूरत नहीं होगी।
मुख्य फायदे:
- सफर बिना रुके, फास्ट और स्मूद
- पारदर्शी और दूरी के हिसाब से सटीक चार्ज
- मोबाइल ऐप पर मिलेगी पूरी डिटेल
कितना टोल देना पड़ेगा? जानिए नई दरें
वाहन प्रकार | प्रति KM दर (₹) | 100 KM का टोल (₹) | 500 KM का टोल (₹) |
बाइक | ₹0.30 | ₹30 | ₹150 |
कार/जीप | ₹0.75 | ₹75 | ₹375 |
SUV/MPV | ₹1.00 | ₹100 | ₹500 |
हल्के व्यावसायिक वाहन | ₹1.50 | ₹150 | ₹750 |
भारी ट्रक/बस | ₹2.50 | ₹250 | ₹1250 |
नोट: ये दरें फिलहाल ड्राफ्ट के आधार पर हैं। असली दरें राज्य सरकार या एनएचएआई की घोषणा के बाद तय होंगी।
आम लोगों को इससे क्या फायदा?
- कम दूरी वालों को राहत: पहले जितनी दूरी तय की उससे ज्यादा देना पड़ता था, अब नहीं।
- शहर के अंदरूनी सफर में बचत: रोज़ ऑफिस जाने वाले या लोकल ट्रैवल करने वालों के लिए ये बहुत बड़ी राहत है।
- पारदर्शिता: अब हर किलोमीटर का हिसाब साफ-साफ मिलेगा।
कुछ नुकसान भी हैं?
हाँ, लंबी दूरी तय करने वालों को थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है। साथ ही, अगर GPS या FASTag सिस्टम में कोई दिक्कत आई, तो परेशानी भी हो सकती है। लेकिन ये टेक्निकल इश्यू समय के साथ सुधरेंगे।
वार्षिक पास – सफर का स्मार्ट ऑप्शन!
सरकार एक और बढ़िया सुविधा देने जा रही है – वार्षिक पास। जिन लोगों को रोज़ टोल देना पड़ता है, उनके लिए एक फिक्स सालाना रकम देकर अनलिमिटेड सफर करना मुमकिन होगा।
वाहन | संभावित सालाना पास (₹) |
बाइक | ₹2,000 |
कार/जीप | ₹5,000 |
SUV | ₹7,500 |
ट्रक/बस | ₹12,000 |
फायदे:
- बार-बार टोल की टेंशन खत्म
- परिवार के साथ ट्रिप्स पर भी सेफ बजट
- बिजनेस वाले वाहनों के लिए परफेक्ट प्लान
ये नया टोल सिस्टम एक स्मार्ट और फेयर तरीका है जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी। हां, कुछ शुरुआती दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन लंबी दौड़ में ये टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल है। अब हाईवे पर सफर भी आरामदायक होगा और खर्च भी कंट्रोल में रहेगा।